virendra jain ke nashtar वीरेन्द्र जैन के नश्तर्
hindi vyangy kavittaon ka mohalla हिंदी व्यंग्य कविताओं का मोहल्ला
Tuesday, December 13, 2011
व्यंग्य कविता- एक जानवर और आ गया उनके बाड़े में
Friday, November 18, 2011
व्यंग्य कविता प्रयास
Friday, August 5, 2011
व्यंग्य कविता अपना भारतवर्ष है
व्यंग्य कविता
अपना भारतवर्ष है
वीरेन्द्र जैन
राजा जेल में हैं
जनता सड़क पर है
जिसके जन्म स्थल पर विवाद है
वह सीबीआई की पेशी से अनुपस्थित होकर
जन्मदिन मनाता है
और ब्रम्हचारी बाबा के लिए
आइटम गर्ल द्वारा
शादी का प्रस्ताव भेजा जाता है
आजकल घोटालों वाली ही
सोसाइटी आदर्श है
यह अपना भारतवर्ष है
-- वीरेन्द्र जैन
Monday, July 11, 2011
व्यंग्य कविता - - धमकी
धमकी
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इस बार नाराज होकर
न तो उसने कहा
कि वो कुएँ में कूद जायेगी
और न ही दी धमकी
मिट्टी का तेल छिड़क कर
आग लगा लेने की
अपितु वह थोड़ा सा रो ली
और फिर गम्भीर होकर बोली
कि वह रेल से यात्रा करेगी।
अब आप ही बताइए कि
यह भी कोई धमकी हुई भला,
भारतीय रेल से यात्रा करने पर आदमी
जिन्दा भी तो बच सकता है
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वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629
Friday, June 24, 2011
दो व्यंग्य रचनाएं
दो व्यंग्य रचनाएं
वीरेन्द्र जैन
लाल बुझक्कड़ बाबा
बोल रहा था बढचढ बाबा
कोई तो थी गड़बड़ बाबा
शीशे के घर में रह कर भी
फेंक रहा था कंकड़ बाबा
पत्ता तक तो हिला न पाया
चला उठाने अन्धड़ बाबा
रोग न जाने दवा न जाने
भागा लाल बुझक्कड़ बाबा
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खतरनाक
सिगरेट पीना
स्वास्थ के लिए खतरनाक है
शराब पीना
स्वास्थ के लिए खतरनाक है
च्युंगम चबाना
वित्तमंत्रालय के लिए खतरनाक है
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2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
भोपाल [म.प्र.] 462023
9425674629
Monday, March 14, 2011
व्यंग्य कविता- आदेश की प्रतीक्षा
आदेश की प्रतीक्षा
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वीरेन्द्र जैन
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अरी भागवान
कुछ चाय-वाय हो जाय
या उसके लिए भी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा की जाय
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वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629
Sunday, January 2, 2011
व्यंग्यजल - बुनियाद हिल गयी है
व्यंग्यजल
बुनियाद हिल गयी है
वीरेन्द्र जैन
दिखती नहीं हो बेशक, हालत बदल गयी है
यह घर नहीं बचेगा, बुनियाद हिल गयी है
अब इस तरह लटकना, हम आपकी नियति है
छज्जा पकड़ लिया है, सीड़ी फिसल गयी है
मुन्नी बहुत थी जिद्दी, लेकिन बहल गयी है
उसे खेल चाहिए था, उसे रेल मिल गयी है
इतनी बड़ी रसोई, इतने रसोइए हैं
वहाँ दाल गल रही थी,यहाँ दाल जल गयी है
सावन बसंत पतझर, आयेंगे जायेंगे भी
बेकार हैं मगर जब ख्वाहिश निकल गयी है
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629