व्यंग्य कविता
अपना भारतवर्ष है
वीरेन्द्र जैन
राजा जेल में हैं
जनता सड़क पर है
जिसके जन्म स्थल पर विवाद है
वह सीबीआई की पेशी से अनुपस्थित होकर
जन्मदिन मनाता है
और ब्रम्हचारी बाबा के लिए
आइटम गर्ल द्वारा
शादी का प्रस्ताव भेजा जाता है
आजकल घोटालों वाली ही
सोसाइटी आदर्श है
यह अपना भारतवर्ष है
-- वीरेन्द्र जैन
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