एक सवाल
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आये थे मरने की खातिर
वे बच्चे किस के थे आखिर?
क्या उनका कोई बाप न था
क्या उनका कोई भाई नहीं
वे क्या बिन माँ के जाये थे
वे कौन देश से आये थे?
क्यों नहीं बहे उन पर ऑंसू
क्यों नहीं किसी के अपने थे
क्यों पायी नहीं मुहब्बत थी
क्यों नहीं ऑंख में सपने थे
वे नहीं जानते थे उनने
किसको मारा क्यों मारा है
जिसने उनको आदेश दिया
खुद कायर है नाकारा है
उनको दफनाने की खातिर
जब कब्रिस्तान नहीं राजी
वे लोग कहाँ जिनने, लगवायी
उनसे प्राणों की बाजी
जो लोग उन्हें भड़काते हैं
खुद बुर्के में छुप जाते हैं
जिसको जीवन की आस न हो
उससे न बड़ा कोई काफिर
वे बच्चे किस के थे आखिर?
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