नाम लिखा दाने दाने पर
जिसने खाने वालों का
उसने ही क्यों लिखा न उस पर
नाम उगाने वालों का
बर्फी चमचम केक फलूदा
डोसे चिकिन मसालों तक
नहीं लिखा पर नाम हमारा
उसने रोटी दालों तक
ऐसा लगता है लिख डाला
नाम भतीजों सालों का
नाम लिखा दाने दाने पर
जिसने खाने वालों का
उसने ही क्यों लिखा न उस पर
नाम उगाने वालों का
हिन्दी में है उर्दू में है
या उड़िया बंगाली में
लिखा देवभाषा में उसने
या प्राकृत में,पाली में
दो नम्बर सा खाता उसका
है गड़बड़ घोटालों का
नाम लिखा दाने दाने पर
जिसने खाने वालों का
उसने ही क्यों लिखा न उस पर
नाम उगाने वालों का
3 comments:
नाम लिखा दाने दाने पर
जिसने खाने वालों का
उसने ही क्यों लिखा न उस पर
नाम उगाने वालों का
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सार्थक प्रश्न करती बहुत खूबसूरत कविता
bahut dinon baad kuchh aisa mila aapke geet me jo bheetar tak tript kar gaya .
badhaai............
bahut hi umda rachna !
बेहतरीन रचना!
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