व्यंग्यजल
इसमें केवल बीबी बच्चे आयेंगे
'नैनो' में माँ-बाप समा ना पायेंगे
दादाजी का रिश्ता, कोई रिश्ता है
वे पापा के पापाजी कहलायेंगे
माल विदेशी बिके स्वदेशी झख मारे
अंधे जब पीसेंगे कुत्ते खायेंगे
इतना बोझ न डालो कंधे झुक जायें
अपनी डोली फिर किससे उठवायेंगे
हमको केवल स्वागत गान नहीं आते
होली पर गाली भी हमीं सुनायेंगे
2 comments:
नश्तर ने कर दिया तरबतर
पर नैनो खरीदने वाले हो जायेंगे
इसे पढ़कर तितर बितर।
बहुत ख़ूब!
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