नया नया क्या है
शाम वही थी सुबह वही है नया नया क्या है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है
उजड़ी गली, उबलती नाली, कच्चे कच्चे घर
कितना हुआ विकास लिखा है सिर्फ पोस्टर पर
पोखर नायक के चरित्र सा गंदला गंदला है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है
दुनिया वही, वही दुनिया की है दुनियादारी
सुखदुख वही, वही जीवन की, है मारामारी
लूटपाट, चोरी मक्कारी धोखा घपला है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है
शाम खुशी लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी
किंतु सुबह ने शबनम सी चादर समेट रख दी
सजा प्लास्टिक के फूलों से हर इक गमला है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है
वीरेंद्र जैन
२/१ शालीमार स्टर्लिंग rayasen रोड
BHOPAL
9425674629
1 comment:
very nice and true wordings
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