व्यंग्य कविता
स्टे_____
वीरेन्द्र जैन्
एक साधु ने अपने स्वार्थ हेतु
एक सेठ को बरगलाया
और उसे नारकीय पीड़ा का
दिल दहला देने वाला
लगभग आंखों देखा हाल सुनाया।
बोला, -रे अधम,
जब यम के दूत
तुझ लेने आयेंगे
तो तेरे ये सारे ठाट बाट
धरे के धरे रह जायेंगे
लेकिन सेठ बिल्कुल भी नहीं घबराया
क्योंकि वह जानता था कि
सीतारूपी लक्ष्मी हरण के लिये
रावण भी था इसी भेष में आया
सेठ बोला-साधुजी,
यम के दूत हमारा क्या कर पायेंगे
उनके लौटने से पूर्व ही हमारे वकील
हाईकोर्ट से स्टे ले आयेंगे
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629
3 comments:
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\
nice
दिखती नहीं हो बेशक, हालत बदल गयी है
यह घर नहीं बचेगा, बुनियाद हिल गयी है
अब इस तरह लटकना, हम आपकी नियति है
छज्जा पकड़ लिया है, सीड़ी फिसल गयी है
Lajawab. Jain sahab vartmaan halat ka sanjeeda mujahira kiya hai.
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