Saturday, April 17, 2010

गज़लनुमा रचना- पीठ पीछे आइना काला मिला

एक गज़लनुमा रचना
पीठ पीछे आइना काला मिला
[आदरणीय आलोचकों से क्षमायाचना सहित]
वीरेन्द्र जैन

सबको चिकनी शक्ल दिखलाता मिला
पीठ पीछे आइना काला मिला
रास्ते आवागमन के दूसरे
सामने से द्वार पर ताला मिला
वोट देकर आदमी बाहर हुआ
फिर न कोई पूछने वाला मिला
बैठकों में कीमती कालीन है
माँ के कमरे में लगा ज़ाला मिला
दाल मुर्गी से अधिक मँहगी हुयी
दाल में भीतर छुपा काला मिला


वीरेन्द्र जैन 2/1 शालीमर स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] फोन 9425674629

2 comments:

दिलीप said...

maa ke kamre me laga jaala mila...waah bahut khoob....maan gaye...

http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

Shekhar Kumawat said...

fir bhi sundar rachana

bahut khub


shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\