Sunday, August 15, 2010

आओ इसे महान बनायें


स्वतंत्रता दिवस पर विशेष


मेरा देश महान नहीं है
वीरेन्द्र जैन
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जब तक सब पेटों को रोटी
सब हाथों को काम नहीं है
मेरा देश महान नहीं है

मिलता नागरिकों को जब तक
रोजी का अधिकार नहीं है
जिन्दा रहने के अधिकारों
का कोई आधार नहीं है
संविधान की लिखतों से
जिन्दा रहना आसान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है

जब तक राजनीति के कुत्ते
नाम धर्म का ले लड़वाते
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारों से
जब तक हैं वोटों के नाते
जब तक मेहनतकश
दरिद्र- नारायण का सम्मान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है

युवकों के भविष्य तय करते
हैं बूढे, मुर्दा, पाखण्डी
ऐसे ब्याह बजार लगे हैं
जैसे हो साँड़ों की मंडी
जब तक नई पीढी के हाथों
अपनी स्वयं कमान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है

जब तक सेठों की बहियों पर
रोज अंगूठे टेके जाते
लोकतंत्र के नाम स्वार्थ के
मोटे टिक्कर सेंके जाते
जब तक भारत के जन जन को
पूरा अक्षर ज्ञान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है

मेरा देश महान नहीं पर
हो सकना तो सम्भावित है
वर्तमान प्रारम्भ करे तो
फिर भविष्य में गुंजाइश है
आओ इसे महान बनायें
क्यों समझें आसान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है

वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629

3 comments:

रवि रतलामी said...

बहुत खूब!
सही मायनों में असली राष्ट्रगान तो यही है.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय वीरेन्द्र जी
नमस्कार !

जब तक राजनीति के कुत्ते
नाम धर्म का ले लड़वाते
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारों से
जब तक हैं वोटों के नाते
जब तक मेहनतकश
दरिद्र- नारायण का सम्मान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है


मज़ा आया साहब पढ़ कर
बहुत ही शानदार , जानदार , और ईमानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई !
जी करता है पूरा गीत ही कोट करदूं ।

मैं कहता हूं …
हत्यारे नेता बन बैठे !
नाकारे नेता बन बैठे !
मुफ़्त का खाने की आदत थी
वे सारे नेता बन बैठे !


पूरा गीत मेरे ब्लॉग पर 15 अगस्त वाली पोस्ट में पढ़ - सुन सकते हैं …

स्वागत है आइए न !
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं

प्रदीप कांत said...

जब तक सब पेटों को रोटी
सब हाथों को काम नहीं है
मेरा देश महान नहीं है

BADHIYA VYANGYA